जनवरी 2009 का वो दिन मैं कभी नहीं भुला सकता। दिवंगत पूर्व उप राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत एक निजी यात्रा पर बूंदी आए थे। एक पत्रकार के नाते मैं उनसे मिलने उम्मेद बाग पहुंचा, बाबो सा से मैंने काफी देर तक बात की। इतने बडे कद की किसी शख्सियत को इतना सहज मैंने तो पहली बार ही देखा था। संवाद के दौरान ही जब अंत में मैंने अपना परिचय दिया तो राजस्थान पत्रिका का नाम सुन उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और फिर मुझसे मेरे बारे में पूछना शुरू कर दिया। आज बाबोसा हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनके साथ बिताए उन चंद लम्हों को मैं ताउम्र नहीं भुला सकता।
achche anubhav
ReplyDeleteaap bhi babosa jaise bano or rashtrapati chunav me kisi bhi "pratibha" se bhari pado