Saturday, February 20, 2010

अपने ही करा रहे जासूसी

अब रोडवेज "फ्लाइंग" (गश्ती दल) की भी "जासूसी" की जाने लगी है। जासूसी कराने वालों ने सूचना तंत्र मजबूत बनाने का इन दिनों एक नया तरीका ढूंढा है। अब "मुखबिरों" को वाहन मुहैया कराए जा रहे हैं, जो "फ्लाइंग" का पीछा करते हैं। इसका असर यह हुआ कि मुख्यालय से "फ्लाइंग" की रवानगी के साथ ही पूरा रूट "अलर्ट" हो जाता है। ताजा मामला झालावाड़ जिले का है, जहां एक निजी वैन पूरे मार्ग में "फ्लाइंग" का पीछा करती रही।"फ्लाइंग" आगे, मुखबिर पीछेसूत्रों ने बताया कि 10 फरवरी को झालावाड़ जिले के विभिन्न मार्गो पर बसों का निरीक्षण करने गई जोनल "फ्लाइंग" को चांदखेड़ी (खानपुर) चौराहे पर एक वैन मिली। यह वैन पूरे रूट पर "फ्लाइंग" का पीछा करती रही। अधिकारियों ने वैन चालक को छकाने के लिए कार को खानपुर कस्बे में ले लिया तो वह वहां तक भी आ धमकी। "फ्लाइंग" इकलेरा की ओर निकली तो वहां पहले से एक मोटरसाइकिल चालक तैयार मिला। नतीजतन इस रूट पर मिली तीनों बसों में एक भी यात्री बगैर टिकट नहीं मिला। "फ्लाइंग" ने अपनी रिपोर्ट में उक्त वैन के नम्बर भी दर्ज किए हैं।लाल रंग की कारइससे पहले जनवरी में चले सात दिवसीय विशेष अभियान में भी गश्ती दल एक लाल रंग की कार से खासा त्रस्त रहा। इस गाड़ी ने गश्ती दल का पीछा करते हुए कमोबेश संभाग के सभी जिले नाप डाले। रोडवेज के अघिकारी खुद यह सवाल उठाते हैं कि इस सूचना तंत्र के लिए रकम कौन खर्च करता होगा? मैं और यातायात निरीक्षक झालावाड़ जिले में चैकिंग के लिए गए थे। वहां एक वैन हमारा पीछा करती रही। वैन के नम्बर अधिकारियों को बताए हैं।"-सोहनलाल यादव, जांच अघिकारी, रोडवेज, कोटा डिपो

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