Friday, July 23, 2010

देखो तो कैसा लगता हूं मैं...


मेरा यह कैरीकेचर मेरे अजीज और नामी काटूर्निस् सुरेन्द्र वर्मा ने मेरे आग्रह पर तैयार किया है। वर्मा अपने फनका जादू समूचे सूबे में बिखेर चुके हैं। वह मेरे ही साथ राजस्थान पत्रिका के कोटा कार्यालय में कार्यरत है। पत्रिकाकी ओर से उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उनकी उपलब्धियों को गिनाने लगूंगा तो शायदशब् कम पड जाएंगे। मैंने जैसे ही उन्हें मेरा कैरीकेचर तैयार करने का आइडिया दिया तो वे राजी हो गए और फिरइस कैरीकेचर को बनाकर सभी को दिखाते हुए बोले, ये कौन है... जब साथियों ने मेरा नाम बताया तब वह संतुष्हुए कि उन्होंने जो काम किया है, वह सार्थक रहा।‍‍ ‍ ‍‍ ‍‍ ‍ ‍

2 comments:

  1. वो सरकारी इमारतों के मुख्य द्वार पर एक चौकोर गड्ढा होता है जो लोहे की सलाखों के जाल से ढका रहता है। उसे ही काऊकेचर कहते हैं। यह चित्र कैरीकेचर है।

    और ये वर्ड वेरीफिकेशन हटाएँ, वर्ना टिप्पणियों का अकाल रहेगा।

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  2. ब्लाग का नाम देख कर इतना तो अंदाज था कि कोटा से कोई रिश्ता होना चाहिए आप का। प्रोफाइल पढ़ी तो पता लगा वास्तव में कोटा से हैं। जल्दी मिलिए फिजिकल्ली।

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