Friday, February 19, 2010

मालामाल अधीक्षण अभियंता

कोटा। गुमानपुरा पुलिस ने शुक्रवार को 54.67 लाख रूपए का "काला धन" आयकर विभाग के हवाले कर दिया। यह रकम एक जमीन के सौदे की थी, जिसे भू-स्वामी प्लास्टिक की बोरी में भरकर बैंक के लॉकर में जमा करा रहा था। पुलिस नोटों से भरी बोरी थाने ले आई, जिसे बाद में आयकर विभाग को सौंप दिया गया। थानाधिकारी भगवतसिंह हिंगड़ ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक व्यक्ति हवाला कारोबार से अर्जित रकम को पंजाब नेशनल बैंक की छावनी शाखा के लॉकर में जमा करा रहा है। इस पर पुलिस मौके पर पहुंची तो बीकानेर निवासी जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता (मैकेनिकल) शंकरलाल वर्मा एक प्लास्टिक की बोरी में से नोट निकालकर अपने लॉकर में रख रहे थे। मौके से मिली रकम को थाने लाकर आयकर विभाग को सौंप दिया गया।1.38 करोड़ में हुआ था सौदापूछताछ में शंकरलाल वर्मा ने पुलिस को बताया कि बोरखण्डी में सेमकोर फैक्ट्री के सामने उनकी आठ बीघा जमीन है, जो वर्ष 2009 में उन्होंने एस.के. प्रोपर्टी, बोरखेड़ा के रवीन्द्र सहाय को 1.38 करोड़ में बेची थी। जमीन के पेटे 66 लाख रूपए पहले दिए जा चुके थे। वे शुक्रवार को अदा की गई 47 लाख रूपए की रकम लॉकर में जमा कराने आए थे।पुलिस ने 47 लाख और पहले से लॉकर में रखे 7.67 लाख रूपए अपने कब्जे में लेकर आयकर विभाग को सुपुर्द कर दिए।...और बेच दिए भूखण्डलॉकर में रकम जमा कराते समय शंकरलाल वर्मा के साथ मौजूद एस.के. प्रोपर्टी के साझीदार घनश्याम ने पुलिस को बताया कि उन्होंने खरीदी गई जमीन पर श्री लक्ष्मण विहार के नाम से कॉलोनी काटी है, जिसमें 88 भूखण्ड हैं, सभी बेचे जा चुके हैं। भूखण्ड खरीदने वालों से 60 हजार रूपए अग्रिम और शेष राशि तीन-तीन हजार रूपए की किश्तों में ली जा रही है। जैसे-जैसे उनके पास रकम जमा होती है, वैसे ही भू-स्वामी को दिए जा रहे हैं।कागज के टुकड़े पर सवा करोड़ से ज्यादा का सौदासवा करोड़ से ज्यादा के इस सौदे को आयकर बचाने के लिए क्रेता और विक्रेता ने महज एक कागज के टुकड़े पर तय कर लिया। पुलिस को जमीन बेचने वाले शंकरलाल वर्मा के पास से मिली फाइल में सिर्फ इकरारनामा है। इस इकरारनामे पर ही सारी लिखा-पढ़ी हुई है। वर्ष 1974 में सेवानिवृत्त हुए अधीक्षण अभियंता वर्मा वर्ष 1969 में कोटा में भी पदस्थापित रहे हैं।राजकोष में जमा होगा धनपुलिस की सूचना पर गुमानपुरा थाने पहुंचे आयकर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उक्त रकम को जब्त कर राजकोष में जमा कराया जाएगा। मौके पर मिली रकम और पहले हुए लेन-देन के पेटे जो भी आयकर बनेगा, वह नियमानुसार वसूला जाएगा।

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