Saturday, February 20, 2010

और खाली हो गई जेल

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के जेल में आज सुबह 23 कैदी फरार हो गए हैं। सुबह पौने सात बजे करीब दो दर्जन कैदियों ने संतरी की राइफल छीन ली और राइफल से गेट पर तैनात हेडकांस्टेबल सहित दो जेलकर्मियों की धुनाई कर फरार हो गए। जेल से एक साथ 23 कैदियों के फरार होने की सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच गया। प्रदेश की किसी भी जेल से इतनी बड़ी तादाद में एक साथ कैदियों के फरार हो जाने की यह पहली घटना है। फरार कैदियों की तलाश में राज्य भर में हाइ अलर्ट जारी किया गया है। फरार कैदियों में चार हत्या और आठ कैदी मादक पदार्थ के कुख्यात तस्कर बताए गए हैं। मौके पर जिला कलक्टर आरूषि मलिक और पुलिस अधीक्षक गिरिराज मीणा सहित अन्य अधिकारी पहुंच गए हैं। पुलिस को अभी तक फरार कैदियों का सुराग नहीं मिला है।
भागने के लिए चाय का समय चुनापुलिस अधीक्षक मीणा ने बताया कि चित्तौड़ जिला कारागृह में सुबह करीब सात बजे रोज की तरह जेल प्रहरी दूध-चाय के लिए कैदियों के बैरक के पास गया, तभी कुछ कैदी बैरक का लॉक खोल कर बाहर आ गए। कैदियों को बैरक के बाहर देख कर संतरी सोहनलाल ने उनकी तरफ राइफल तानी। इस पर कैदियों ने सोहनलाल पर हमला कर दिया और उसकी राइफल छीन ली। कैदियों ने राइफल के बट से सोहनलाल और हेडकांस्टेबल दिनेश श्रीमाली की धुनाई कर दी।संतरी को बैरक में डालाबताया जाता है कि कैदियों ने सोहनलाल और दिनेश को बैरक में बंद कर दिया और एक-एक कर जेल से 23 कैदी बाहर निकल गए। कैदी संतरी की राइफल भी अपने साथ ले गए। कैदी जेल के बाहर खड़ी सफेद टवेरा गाड़ी और दूधिये की लूना ले भागे। कैदियों की तलाश में आस-पास के जिलो में कड़ी नाकाबंदी कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि जेल में कुल 276 कैदी मौजूद हैं और उनकी सुरक्षा के लिए मात्र सात सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी जेल प्रशासन पर सवाल खड़े करती है। डीजी भी रवाना स्थिति का जायजा लेने के लिए जेल डीजी ओमेंद्र भारद्वाज भी गुरूवार सुबह जयपुर से चित्तौड़गढ़ रवाना हो गए। सुनियोजित फरारी जिला कारागृह के जिस बैरक से कैदी फरार हुए हैं, उस बैरक के गेट का लॉक करीब एक सप्ताह से खराब था। इस मामले में संतरी ने कारागृह प्रशासन को सूचना भी दे दी थी। इसके बावजूद बैरक के लॉक को ठीक नहीं करवाया गया। माना जा रहा है कि जिस टवेरा गाड़ी से कैदी भागे, उसका इंतजाम भी कैदियों ने जेल के बाहर मौजूद अपने साथियों की मदद से किया था।नंगे पैर भागे बताया जाता है कि जेल से फरार सभी कैदी नंगे पैर थे। संतरी और हेडकांस्टेबल पर हमला करने के बाद सभी कैदी जेल से नंगे पैर ही फरार हो गए। वाह ! रिकॉर्ड ही बनवा दियाजयपुर। चित्तौडगढ़ जेल से भागे 23 कैदियों ने जेल विभाग के लिए नया इतिहास रचा है। इससे पहले वर्ष 1984-85 में बांसवाड़ा की जिला जेल से एक साथ 22 कैदी फरार हुए थे, जिसमें कैदियों को लीडर एक कुख्यात डकैत था। हालांकि बाद में पुलिस ने उसे धर दबोचा था, लेकिन यही कुख्यात डकैत 1987 में एक बार फिर सात कैदियों के साथ जेल की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए फरार हो गया और आज तक नहीं लौटा। उसके बाद 2006 में बीलाड़ा जेल से एक साथ सात कैदी जेल की दीवार में छेद कर फरार हो गए थे। इसी तरह 2007 में निम्बाहेड़ा जेल से भी 12 कैदी संतरी और जेलरों को बेहोशी की दवाइयां देकर फरार होने में कामयाब रहे।
90 प्रतिशत से ज्यादा जेलें ओवर फ्लो राज्य की जेलों की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य की आठ सेंट्रल जेलों, 25 से ज्यादा जिला जेलों और 16 से ज्यादा सब जेलों में से 90 प्रतिशत जेलों में निर्धारित संख्या से काफी अधिक कैदियों को रखा गया है। राजस्थान जेल के रिकार्ड्स पर नजर दौड़ाई जाए तो आठ सेंटल जेलों में महिला और पुरूष कैदियों को मिलाकर मात्र 7970 कैदी रखने की क्षमता है। जबकि इस समय सेंट्रल जेलों में 12300 से भी ज्यादा ठूसें गए हैं। वहीं राज्य की 25 जिला जेलों और 17 सब जेलों में 5889 कैदी रखने की क्षमता है, इसके उलट इस समय इन जगहों पर 10100 कैदी ठूंसे गए हैं। इतना ही नहीं महिला जेल में रहने वाली कैदियों के बच्चों के बारे में आंकड़ों में जानकारी नही दी गई है।

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