Sunday, February 21, 2010

रिश्ते तार तार

कोटा। रिश्तों पर एक सामाजिक बंदिश इतनी भारी पड़ गई कि भाई ने अपनी बहन के शव को छूने तक की जेहमत नहीं उठाई।जगपुरा निवासी मृतका मंजू बाई के मामले में जो कहानी सामने आई वह हर किसी को भीतर तक कचौट गई। मृतका के परिजनों ने उसका शव लेने तो क्या छूने से भी इनकार कर दिया।रंगबाड़ी स्थित न्यू मेडिकल कॉलेज में महिला की मौत के बाद जब पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि बरसों पहले मृतका हेमराज के नाते चली गई थी। बाद में हेमराज की भी मृत्यु हो गई और इसी बीच, उसके एक बच्चा भी हुआ। इस पर बिरादरी के लोगों ने उसे जाति बदर कर दिया। बिरादरी के इस फरमान को लांघने की हिम्मत मृतका के भाई व अन्य परिजनों ने नहीं दिखाई। जब शव लेने के लिए पुलिस ने उनसे सम्पर्क साधा तो उन्होंने कहा कि यदि वे उसका शव ले आएंगे तो उन्हें भी जाति से बाहर कर दिया जाएगा। परिजनों के नहीं आने पर शनिवार को शव का पोस्टमार्टम कराकर कर्मयोगी संस्था को सौंप दिया गया।फोटो दिखाया और कहा, "यह है मेरी मां..."-राकेश वह अभागा दस वर्षीय मासूम है, जिसे न बाप का प्यार मिला और परिजनों का दुलार। इस जहां में यदि उसका कोई था तो वह थी उसकी मां। मां की भी क्षय रोग से मृत्यु हो गई। अब धरती उसका बिछौना और आसमां ही उसकी छत है। श्रीनाथपुरम् इलाके की एक कच्ची टापरी में करीब ढाई माह से वह अपनी मां के साथ रह रहा था। शनिवार को यह संवाददाता टापरी पर पहुंचा तो राकेश बाहर खड़ा था। पिता के बारे में तो उसे कुछ पता नहीं। मां के बारे में पूछा तो उसने जेब से एक फटा सा पर्स निकाला और उसमें से एक फोटो निकालते हुए कहा "यह है मेरी मां...।" इस बच्चे को पुलिस ने डेरा सच्चा सौदा के सेवादार राजेन्द नागर और श्रीनाथपुरम् की ही एक टापरी में रहने वाले पप्पू को संभलाया है।"हमने परिजनों से सम्पर्क किया था, लेकिन उन्होंने शव लेने से मना कर दिया। उन्होंने बताया कि महिला जाति से बाहर है और उसका शव लेंगे तो हमें भी जाति बदर कर दिया जाएगा। इस पर पोस्टमार्टम के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए कर्मयोगी संस्था को सौंप दिया गया।"-राधाकृष्ण, जांच अधिकारी, महावीर नगर थाना"बच्चे को अनाथाश्रम में रखेंगे। वहां उसके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था ठीक से हो जाएगी। यदि वह चाहेगा तो उसे पढ़ाने का भी प्रयास रहेगा।"-राजेन्द्र नागर, सेवादार, डेरा सच्चा सौदा

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